युद्ध कला - (The Art of War) भाग 1 - परिचय Praveen kumrawat द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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युद्ध कला - (The Art of War) भाग 1 - परिचय

“आर्ट ऑफ वार” सुन त्ज़ू द्वारा 500-550 ईसा पूर्व लिखी गई एक प्रभावशाली पुस्तक है। जिसे उस समय के हालात में सिर्फ और सिर्फ युद्ध को मद्देनज़र रखते हुए लिखा गया था। इसमें कोई दोमत नहीं कि यह पुस्तक कोई मामूली नहीं है। जब आप इसे पढ़ेंगे तो आपके सामने चल रहे रसिया-यूक्रेन के युद्ध की छवि आँखों के सामने आती जाएगी, और आप उससे इस किताब में दिए गए नियम को मिलाते जाएंगे तो पाएंगे कि यूक्रेन कौन सी गलती कर रहा है और रसिया कौन सी गलती कर रहा है। युद्ध् की अगुवाई करने वाला एक जनरल, अगर इस किताब में दिए गए उन सभी नियमों को ईमानदारी के साथ अपने सैनिकों को लेकर अपने विरोधी के प्रति निभाता है, सुन त्ज़ू के अनुसार निश्चित ही उसकी जीत होंगी।

सुन त्ज़ू, ची प्रांत का रहने वाला था। वू प्रांत के राजा 'हो लू' ने जब उसकी इस पुस्तक को पढ़ा तो उसने सुन त्ज़ू को बुलवाया। उसने सुन त्ज़ू से पूछा कि जिन युद्ध कलाओं का वर्णन इस पुस्तक में किया है क्या वे व्यवहारिक हैं।
सुन त्ज़ू ने हाँ में उत्तर दिया।
“क्या वह यह सिद्ध करके दिखाएगा?” राजा ने पूछा।
सुन त्ज़ू ने हाँ में उत्तर दिया।
हो लू ने सवाल किया “क्या यह प्रयोग महिलाओं पर किया जा सकता है?”
इस बार भी सुन त्ज़ू का जवाब हाँ था।
महल से 180 महिलाएं बुलाई गईं। सुन त्ज़ू ने उन्हें दो टुकड़ियों में बांट दिया तथा राजा की विश्वसनीय एवं चहेती महिलाओं को उन टुकड़ियों का कमांडर बना दिया। सभी के हाथों में एक-एक भाला दे दिया गया। सुन त्ज़ू ने उन सभी को संबोधित करते हुए कहा —“मैं समझता हूँ कि आप सभी आगे, पीछे, दाएं व बाएं में फर्क समझते हैं।”
महिलाओं का जवाब था— “हाँ।”
सुन त्ज़ू ने आगे कहा— “जब मैं कहूँ 'सामने देख' तो आप सभी सामने देखेंगे। जब मैं कहूँ 'बाएं मुड़' तो आप सभी बाएं हाथ की तरफ मुड़ेंगे। जब मैं कहूँ 'दाएं मुड़' तो आप सभी दाएं मुड़ेंगे और जब मैं कहूँ 'पीछे मुड़' तो आप पीछे मुड़कर खड़े हो जाएंगे।”
“मेरा कहा आप सभी की समझ में आ गया।” सुन त्ज़ू ने पूछा।
सभी महिलाओं ने कहा— “हाँ।”
तब सुन त्ज़ू ने हुक्म दिया— “दाएं मुड़।”
इस पर सभी महिलाएं हंस दी
सुन त्ज़ू ने धैर्यपूर्वक कहा— “यदि कमांडर द्वारा दिया गया आदेश निश्चित एवं स्पष्ट रूप से सुनाई देने वाला नहीं था, तथा आदेश को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है, तो इसके लिए कमांडर दोषी है।”
उसने फिर से उन्हें बताया कि क्या-क्या और कैसे-कैसे करना है। इस बार सुन त्ज़ू ने उन्हें आदेश दिया “बाएं मुड़।”
इस पर महिलाएं फिर से हंस पड़ीं।
सुन त्ज़ू ने पुनः कहा— “दिया गया आदेश यदि निश्चित एवं स्पष्ट सुनाई देने वाला नहीं था, और यदि आदेश को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है, तो इसके लिए कमांडर दोषी है। परंतु आदेश के निश्चित एवं स्पष्ट होने के बावजूद यदि सिपाही उसका पालन न करें तो यह उनके अधिकारियों की गलती है।” इतना कहने के बाद उसने उन दोनों टुकड़ियों के कमांडरों के सिर कलम करने का हुक्म दे डाला।
राजा ने जब यह देखा उसने ऐसा न किए जाने की वकालत की। इस पर सुन त्ज़ू ने जवाब दिया कि वह सेनापति है और उसने उन दोनों महिला कमांडरों के सिर कलम करवा दिए हैं, तथा वरीयता क्रम में दो अन्य महिलाओं को उनकी जगह नियुक्त कर दिया है। इसके बाद कवायद शुरू हुई। दाएं मुड़, बाएं मुड़, पीछे मुड़, घुटने के बल बैठना आदि-आदि, तथा सभी कुछ एक साथ आदेशानुसार किया जाने लगा। दो दशकों तक सुन त्ज़ू ने राज्य विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सन् 1782 में फादर अमिओट ने इस पुस्तक का फ्रांसिसी भाषा में अनुवाद किया। पी. एफ. केलथ्रोप ने पहली बार तथा लियोनेल गिल्स ने दूसरी बार इसी पुस्तक का अंग्रेजी में अनुवाद किया।